Wednesday 7 March 2012

मुलाक़ात .....

पहली से पहेलियों मे
बदल गयी ,,,,
वो मुलाक़ात ....
निगाहों से दिल तक
उतर गयी वो ....
बस,होठ थे खामोश ॥
मन के किताब ,,के आवरण
से हर पृष्ट तक ,,,,
बिखर गयी ,,,
वो मुलाक़ात ....
दिवाली मे होली सा
रंग गयी ,,,,
वो मुलाक़ात ....
मधुर गंध सा चमन
मे बिखर गयी वो ।
आज तो अपना बिस्तर भी गुलों
का सेज लगता है ।
सागर मे डूबते सूर्य की मोहकता
सी थी ,,,,
वो मुलाक़ात ....
धुंधला को स्प्स्त्ता का रूप
दे गयी ....
वो मुलाक़ात ....
अवनी को तृप्त कर
गयी वो ....
आज तो विरह की
इमारत भी डगमगा गयी
रेत पर रजनी सा
पसर गयी ,,,,
वो मुलाक़ात ....

.......राहुल पाण्डेय "शिरीष"

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