Thursday 1 March 2012

ऐसी बारिस होती ......

प्रथम प्रेम की वादि
में
कुछ ऐसी बारिस होती है |
प्रेम सिफाल* है,उन
अभिव्यक्तियो की
जिसकी दीवारें इतनी
शफ्फाफ* होती हैं
पहली दफा ......
की
नफ्स* कस्समे-अजल*
बन जाता है अपना |
उन पेचिद्गिओं
की लम्स* जजीरों*
पर भी
तारों का ढेर लगा
देते हैं |
रूह के मिलन की
मतर*
मदारे-जीस्त*
बन जाती है |
जिस्मो की रौह*
रोबरू होती
निशा के आँगन में
चाँद जलता है,,,देख के | |
तस्लीम* करता उन
घटकों का
जिसके ताकों पर
रिश्तों की
हत्या होती है |
प्रथम प्रेम की वादि
में
कुछ ऐसी बारिस होती है |

..........राहुल पाण्डेय "शिरीष"
(कुछ उर्दू शब्द के हिन्दी अर्थ )
{१*मिट्टी का बर्तन ,२*निर्मल ३*प्राणी ४*भाग्य लिखने वाला,५*स्पर्श ,६*शून्य,७*वर्षा,८*जीवन की निर्भरता ,९*खुसबू ,}

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