Tuesday 24 January 2012

उसने कहा था, मैं आउंगी ......

उसने कहा था, मैं  आउंगी ,
बन्धनों के सारे द्वार खोल कर ,
क्रन्दनों को भूल कर ,
समर्पण के सारे नातें निभाउंगी,,
  उसने कहा था ,,मैं आउंगी ...|

तारों का रूप बनकर ,
बIदल में धुप बनकर ,
मैं तुझमे बेखुद हो जाउंगी ..
  उसने कहा था ,,मैं आउंगी ...|

तरकश की तीर सी ,
झरने की शुद्ध  नीर सी ,
तेरे दिल तक पहुँच ही जाउंगी ..
  उसने कहा था ,,मैं आउंगी ...|

जिस डगर पर ,
साँझ ढले चिड़िया ढूंढ़ती है बसेरा ,
सागर के जिस तट से होता है सबेरा ,
पंछी की आवाज ,सूरज की धुप बन ..
तुझे छु जाउंगी ...
  उसने कहा था,, मैं आउंगी ...|

आकेलेपन की आवाज बनकर ,
तेरे जीवन का इकबाल बनकर ,
हर मोड़ पर अपना एहसास-ए-जमाल कराउंगी ...
  उसने कहा था ,,मैं आउंगी ...|

वो आती है ओझल हो जाती है ,
सांसो को सांसो से छेद जाती है ,
आज भी इतात है वो मेरे  लिए

क्योंकि .......
उसने कहा था ,,मैं आउंगी,,,,.....||


                  -------राहुल पाण्डेय "शिरीष"

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर,बहुत ही सुन्दर,बधाई

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