Wednesday 18 January 2012

पीछे देखना छोड़ दिया है ,.....

आज    मैंने    पीछे    देखना   छोड़  दिया    है ,
दिन में दिए जलना ,उसे खुस करना ,छोड़ दिया है |

उसकी यादों से आज टूटता नहीं मैं ,क्योंकि
उसे आज याद करना ही छोड़ दिया है |

जहाँ बोलने की हिदायत थी,महफ़िल में जाने से शिकायत थी ,
आज "सरताज "बुलाते हैं मुझे ,मैंने महफ़िल में जाना छोड़ दिया है |

आकाश और वो एक जैसे थे ,छु न सका आजतक ,
आज बरसाते हैं दोनों आंसू ,मैंने भीगना छोड़ दिया है |

आज फिर खफा है मुझसे,की मैं समझता नहीं उसे,
जब से रोना सिखा है ,मैंने ,मनाना छोड़ दिया है |

                      ---------राहुल पाण्डेय "शिरीष"

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