आज मैंने पीछे देखना छोड़ दिया है ,
दिन में दिए जलना ,उसे खुस करना ,छोड़ दिया है |
उसकी यादों से आज टूटता नहीं मैं ,क्योंकि
उसे आज याद करना ही छोड़ दिया है |
जहाँ बोलने की हिदायत थी,महफ़िल में जाने से शिकायत थी ,
आज "सरताज "बुलाते हैं मुझे ,मैंने महफ़िल में जाना छोड़ दिया है |
आकाश और वो एक जैसे थे ,छु न सका आजतक ,
आज बरसाते हैं दोनों आंसू ,मैंने भीगना छोड़ दिया है |
आज फिर खफा है मुझसे,की मैं समझता नहीं उसे,
जब से रोना सिखा है ,मैंने ,मनाना छोड़ दिया है |
---------राहुल पाण्डेय "शिरीष"
दिन में दिए जलना ,उसे खुस करना ,छोड़ दिया है |
उसकी यादों से आज टूटता नहीं मैं ,क्योंकि
उसे आज याद करना ही छोड़ दिया है |
जहाँ बोलने की हिदायत थी,महफ़िल में जाने से शिकायत थी ,
आज "सरताज "बुलाते हैं मुझे ,मैंने महफ़िल में जाना छोड़ दिया है |
आकाश और वो एक जैसे थे ,छु न सका आजतक ,
आज बरसाते हैं दोनों आंसू ,मैंने भीगना छोड़ दिया है |
आज फिर खफा है मुझसे,की मैं समझता नहीं उसे,
जब से रोना सिखा है ,मैंने ,मनाना छोड़ दिया है |
---------राहुल पाण्डेय "शिरीष"
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